आज गूगल पर सर्च के दौरान एक ऐसी तस्वीर मिली जिसे देखकर देर तक ठिठका रह गया। तस्वीर सोई हुई एक छोटी बच्ची की थी जिसकी मासूमियत और रहस्यमयता ने उसके बारे में कुछ ज्यादा जानने को विवश किया। खोजबीन करने पर जो कुछ पता चला वह दिल दहला देने वाला था। यह जीवंत तस्वीर वस्तुतः किसी सोती हुई बच्ची की नहीं, लगभग सौ साल पुरानी रोसलिया लबाडरे नाम की दो साल की बच्ची की एक लाश की है जिसे ममी बनाकर इटली के सिसली शहर के एक रहस्यमय अंडरग्राउंड कब्रिस्तान कापुचिन कटाकोम्बे में सुरक्षित रखा गया है। इस अनोखे अंडरग्राउंड कब्रिस्तान की विचित्रता यह है कि यहां लाशें दफनाई नहीं, ममी बनाकर दीवारों पर लटका दी जाती हैं। ऐसी आठ हजार से ज्यादा मम्मियां कब्रिस्तान में सुरक्षित हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार पहली ममी 1599 में पादरी ब्रदर सिल्वेस्ट्रो की बनाई गयी थी। 1880 में अधिकृत रूप से इस कब्रिस्तान को बंद कर दिया गया था, लेकिन विशेष परिस्थिति में 1920 में इस कब्रिस्तान में आखिरी ममी दो साल की रोसलिया की बनाई गयी। यह इस कब्रिस्तान में रखी गयी सबसे खूबसूरत ममी है क्योकि इस जीवंत ममी को देखकर लोगों को किसी प्यारी-सी बच्ची के सोने का भ्रम होता है। पर्यटकों ने इसे 'द स्लीपिंग ब्यूटी' का नाम दिया गया हैं। यह आज भी रहस्य ही है कि इस ममी को इस बेहतरीन तरीके से संरक्षित करने में किन रसायनों का प्रयोग किया गया है।
लंबे अरसे तक भूतहा कहे जाने वाले लाशों के इस म्यूजियम को अब पर्यटकों के लिए खोल तो दिया गया है, लेकिन बहुत कम लोग ही टेढ़े-मेढ़े और रहस्यमय गलियारों वाले इस अंधेरे अंडरग्राउंड कब्रिस्तान में उतरने का साहस जुटा पाते हैं। बहुत मजबूत दिल वाले जो कुछ लोग जाते भी हैं, उनके भीतर सबसे प्रबल इच्छा दो साल की रोसलिया की ममी को निकट से देखने और महसूस करने की ही होती है।
[फेसबुक पोस्ट से साभार]
लेखक-
ध्रुव गुप्त
[पूर्व आईपीएस अधिकारी एवं साहित्यकार]
संपर्क-
प्रगति पथ, चतुर्भुज काम्पलेक्स के पीछे, वेस्ट बोरिंग कनाल रोड, पटना-800 001 (बिहार)
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