आज-कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में सबसे अहम एवं विचारनीय मुद्दा ये है कि लोंगों से कैसे बेहतर संबंध बनाएं जा सके ? या फिर उन्हें सालों-साल तक कैसे बरकरार रखा जा सके। ये कोई आम मुद्दा नहीं है, बल्कि ये एक बेहद जरूरी मुद्दा है, जिस पर चर्चा करना हर व्यक्ति के लिए जरूरी है ताकि हम बेहतर संबंध बनाने में कामयाब हो सकें। रिश्तों की बाग-डोर हमेशा हमारे द्वारा सामने वाले व्यक्ति के प्रति हमारें विचारों के आदान-प्रदान कैसे है, पर ही उलझी या सुलझी रहती है। आपका सामने वाले के प्रति कैसा व्यवहार है ये आपसे बेहतर शायद ही कोई जानता हों। आप उसके प्रति क्या सोंच रखते हैं ये एक सबसे अहम मुद्दा है। क्योंकि हमारी सोंच ही हमारे द्वारा सामने वाले व्यक्ति के प्रति हमारें व्यवहार पर काम करती है। अक्सर देखा गया है कि लोग अपने थोड़े से फायदे के लिए कभी भी कहीं भी सालों साल पुराने रिश्तों को भी खोने से नहीं चूकते। उन्हें सिर्फ अपने निजी फायदे से मतलब रहता है। सामने वाले व्यक्ति की भावनाओं से खिलवाड़ करना उनका मानों नियम ही बन जाता है। स्वयंभू की धारणा उनका एकमात्र मात्र लक्ष्य ही नहीं बल्कि जीवन ही है। वे सम
"एक प्रयास.., मुकम्मल प्रस्तुति का"