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Showing posts from May, 2017

5 साल से सूखाग्रस्त इस देश में पानी के लिए कत्लेआम

इस समय पूरी दुनिया पानी के संकट से जूझ रही है और सुनने में आता है कि अगला वर्ल्ड वॉर पानी के लिए हो सकता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है अफ्रीकी देश केन्या, जो पिछले  5 साल के भीषण संकट से जूझ रहा है। लगभग आधे देश में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है। देश के नॉर्दन और पश्चिमी इलाके में तो हालात ऐसे हो गए हैं कि लोग अब जानवरों का सड़ा मांस खाने तक को मजबूर हैं। लोग हो रहे हैं । पिछले काफी समय से केन्या के प्रेसिडेंट उहुरु उहुरू केन्याटा सूखे से निपटने के लिए पूरी दुनिया से मदद मांग रहे हैं, क्योंकि सूखे के कारण यहां 20 लाख से अधिक लोगों को खाने-पीने की जरूरत है।  संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (AFO) की रिपोर्ट के मुताबिक, केन्या का करीब आधा देश पिछले पांच सालों से भीषण सूखे का सामना कर रहा है। वहीं, 2016 में तो पूरे देश में न के बराबर बारिश हुई, जिसके चलते हालात इतने खतरनाक हो चले हैं कि जगह-जगह जानवरों की लाशें दिखाई दे रही हैं। खाने की कमी के चलते लोग सड़े जानवरों का मांस खाने तक को मजबूर हैं, जिसके चलते वे गंभीर बीमारियों का भी शिकार हो रहे हैं। रिफ्ट घाटी की बैरिंगो और

खोज: कृत्रिम रक्त से दूर होगी अस्पतालों में खून की कमी

अस्पतालों में किसी गंभीर ऑपरेशन या डेंगू जैसी बीमारी के बड़े पैमाने पर फैलने पर खून की कमी का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को जड़ से खत्म करने की कोशिशों में लगे विशेषज्ञ लैब में कृत्रिम रक्त बनाने के करीब पहुंच गए हैं। इस सफलता के साथ पिछले 20 वर्षों से जारी प्रयोग चरम पर पहुंच गया है। बोस्टन चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल के वरिष्ठ शोधकर्ता डॉक्टर जॉर्ज डेले और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के डीन ने बताया कि उनकी टीम प्रयोगशाला में मनुष्य का रक्त स्टेम सेल बनाने के काफी करीब पहुंच गए हैं। डॉ. डेले ने बताया कि उनकी टीम ने प्रयोगशाला में रक्त बनाने वाली स्टेम कोशिकाएं विकसित कर ली हैं। प्रयोग के दौरान देखा गया कि यह कोशिकाएं जब चूहों में प्रविष्ट की गईं तो वे विभिन्न तरह के मन्युष्य के रक्त ब्लड सेल बना पा रही थीं। विशेषज्ञों ने 1988 में ह्यूमन एंब्रियोनिक स्टेम सेल की पहचान कर ली थी। इसके बाद से ही इनके जरिये रक्त का निर्माण करने वाली स्टेम कोशिकाएं बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। अगर वे इस प्रयोग में सफल रहते हैं तो यह रक्त संबंधी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए जीवन बदलने वाली उपलब्धि साबि

जनकृति अंतरराष्ट्रीय पत्रिका का नया अंक (अंक 24)

जनकृति अंतरराष्ट्रीय पत्रिका का नवीन अंक (अंक 24, अप्रैल 2017) प्रकाशित। यह अंक आप पत्रिका की वेबसाईट (www.jankritipatrika.in) पर पढ़ सकते हैं। इस अंक में विभिन्न क्षेत्रों से विषय विविधता को ध्यान में रखकर रचनाओं एवं लेखों को प्रकाशित किया गया है साथ ही अंक में नवोदित रचनाकारों को भी प्रमुखता से स्थान दिया गया है. अंक में सहयोग करने हेतु आप सभी सृजनकर्मियों का आभार. अप्रैल अंक की विषय सूची- साहित्यिक विमर्श (कविता, नवगीत, कहानी, लघु-कथा, व्यंग्य, ग़ज़ल, संस्मरण, आत्मकथा, पुस्तक समीक्षा, आप बीती, किस्से कलम के) कविता अनिल अनलहातु Anil Analhatu, अंजू जिंदल Anju Jindal, डॉ. प्रमोद पाण्डेय DrPramod Pandey, डॉ. पुष्पलता DrPushplata Adhiwqta Mujaffarnagar, दुर्गेश वर्मा Durgesh Verma, गरिमा कांसकर Garima Kanskar, गौरव गुप्ता Gaurow Gupta, पूजा @, पुरुषोत्तम व्यास Purushottam Vyas, राजकुमार जैन Rajkumar Jain Rajan, सत्या श्याम ‘कीर्ति’, शशांक पाण्डेय Shashank Pandey, सुबोध श्रीवास्तव Subodh Shrivastava ग़ज़ल टिकेश्वर प्रसाद जंघेल Tikeshwar Prasad Janghel, विश्वंभर पाण्डेय ‘व्यग्र’ कहानी •

रैनसमवेयर - फिरौती वसूलने वाला मैलवेयर : मयंक सक्सेना

ख़ैर चूंकि डिग्री साबित करने के लिए अब तकनीक पर ज्ञान पेलने ही लगा हूं तो आज रैनसमवेयर पर ज्ञान ले लीजिए...अरे, कन्फ्यूज़ मत होइए...ये वही प्रोग्राम है, जिसे वायरस-वायरस कह कर न्यूज़ चैनल हौवा फैलाए हुए हैं...तो थोड़ा सा ज्ञान इसके बारे में... तो साहेबान, रैनसमवेयर कोई नई चीज़ नहीं है...हां, फिलहाल वानाक्राय से लोग वाकई वानाक्राय कह रहे हैं...क्योंकि शायद इसके हमले के लिए लम्बे समय से तैयारी की जा रही थी और पिछले कई साल से इसके छोटे-मोटे हमलों को गंभीरता से नहीं लिया गया। रैनसमवेयर को हिंदी में फिरौतीवायरस कहा जा सकता है। क्योंकि दरअसल यह आपके सिस्टम में प्रवेश करने के बाद, फाइलों को इनक्रिप्ट कर के, एक ही अनजान फाइल फॉर्मेट में बदल देता है और वह खुलना बंद हो जाती हैं। क्योंकि अलग-अलग एप्लीकेशन अपने विशेष फाइल फ़ॉर्मेट को ही पहचान सकते हैं और यह उनके फाइल टाइप को ही बदल कर उनके कोड को इनक्रिप्ट कर देता है। यानी कि यह ट्रोज़न तरीके से आपके सिस्टम में घुसेगा, उसकी फाइलें बदल देगा और फिर आप उनको खोल नहीं सकेंगे। तस्वीरें, वर्ड प्रोसेसिंग डॉक्यूमेंट, फिल्में, गाने सब एक ही फाइल फॉर्मे

सडेन कार्डियक अरेस्ट (आपबीती) : संजय सिन्हा

कल दफ़्तर से निकल ही रहा था कि मेरी निगाह टीवी स्क्रीन पर पड़ी और मेरे कदम ठिठक गए। ख़बर चल रही थी कि बड़ौदा में एक दूल्हे की शादी के मंडप तक पहुंचने से पहले ही मौत हो गई। वो अपने दोस्त के कंधे पर था और खुशी से झूम रहा था, अचानक वो बेहोश हुआ और मर गया। हमारे लिए ये खबर थी। एक सनसनीखेज़ खबर। जब कोई मर जाता है तो हमें लगता है कि ये खबर है। हमें ज़िंदगी में उतना रस नहीं मिलता, जितना मौत में मिलता है। सभी पत्रकारों के लिए ये ख़बर थी, लेकिन मेरे लिए दुख था, अफसोस था, शोक था, क्रोध था। 2 अप्रैल 2013 को मेरे पास पुणे से एक अनजान व्यक्ति का फोन आया था और उसने मुझसे सिर्फ इतना पूछा था कि क्या आप संजय सिन्हा बोल रहे हैं? मेरे हां कहते ही उसने कहा था शायद आपके छोटे भाई की तबियत बहुत खराब हो गई है। वो कुर्सी पर बैठे-बैठे ही लुढ़क गए हैं। फोन करने वाले ने मुझसे कहा नहीं था, लेकिन मैंने सुन लिया था कि वो कह रहा था कि उसकी सांस बंद हो गई है। मेरा जवान भाई, जो कभी बीमार नहीं पड़ा, साठ सेकेंड में इस संसार को छोड़ कर चला गया था। सबने कहा था, मैंने मान लिया था कि उसे अचानक दिल का दौरा पड़ा था और वो