Skip to main content

Posts

Showing posts from August, 2019

तलाश जारी है (कविता) - शक्ति सार्थ्य

(PC:- Sanjay Kanti Seth) तलाश जारी है/ मैँ नहीँ था जमाने से जुदा वक्त की लकीरोँ नें मुझे अपने जैसे था खींचा, मैँ अनजान था मुझे क्या पता की ये वक्त भी शैतान था, मैँ मंझा इसी में और घुल-मिल गया इसी शैतान में जो गुनाह हुए वक्त बेवक्त- उसका हिसाब रखपाना आसान न था, क्या करता मैं- इस शैतान जहाँ में, मुझे तो ढला गया.., छला गया... मैँ हूँ, सोचता हूँ कि मेरा वजूद है- या वजूद पाने की जद्दोज़हद... बड़ा मुश्किल है अब अपने को स्थापित कर पाना, कहीँ खो-सा गया हूँ- इस भीड़ में, तलाश जारी है- क्या पता अब कब अपने आप से मिल पाऊँ ! [04-Mar-2014] - शक्ति सार्थ्य ShaktiSarthya@gmail.com

दर्द की चालीस साल लंबी कविता - ध्रुव गुप्त

दर्द की चालीस साल लंबी कविता ! अपने दौर की एक बेहद भावप्रवण अभिनेत्री और उर्दू की संवेदनशील शायरा मीना कुमारी उर्फ़ माहज़बीं रुपहले पर्दे पर अपने सहज, सरल अभिनय के अलावा अपनी बिखरी और बेतरतीब निज़ी ज़िन्दगी के लिए भी जानी जाती है। भारतीय स्त्री के जीवन की व्यथा को सिनेमा के परदे पर साकार करते-करते कब वे ख़ुद दर्द की मुकम्मल तस्वीर बन गई, इसका पता शायद उन्हें भी नहीं होगा। उन्हें हिंदी सिनेमा का ट्रेजडी क्वीन कहा गया। भूमिकाओं में कुछ हद तक विविधता के अभाव के बावजूद अपनी खास अभिनय शैली और मोहक, उनींदी, नशीली आवाज़ की जादू की बदौलत उन्होंने भारतीय दर्शकों का दिल जीता।1939 में बाल कलाकार के रूप में बेबी मीना के नाम से फिल्मी सफ़र शुरू करने वाली मीना कुमारी की नायिका के रूप में पहली फिल्म "वीर घटोत्कच' थी,लेकिन उन्हें पहचान मिली विमल राय की एक फिल्म क्लासिक फिल्म 'परिणीता से ! अपने तैतीस साल लम्बे फिल्म कैरियर में उनकी कुछ चर्चित फ़िल्में हैं - परिणीता, दो बीघा ज़मीन, फुटपाथ, एक ही रास्ता, शारदा, बैजू बावरा, दिल अपना और प्रीत पराई, कोहिनूर, आज़ाद, चार दिल चार राहें, प्यार का सा