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Showing posts from June, 2018

सेंधा नमक : भारत से कैसे गायब कर दिया गया, शरीर के लिए Best Alkalizer है - विनोद कुमार

सेंधा नमक : भारत से कैसे गायब कर दिया गया, शरीर के लिए Best Alkalizer है :- आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज हम आपको बताते हैं कि नमक मुख्य कितने प्रकार होते हैं। एक होता है समुद्री नमक दूसरा होता है सेंधा नमक (rock salt) । सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है । जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है । वहाँ से ये नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं। तों अंत आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले। काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे, क्यूंकि ये प्रकर्ति का बनाया है ईश्वर का बनाया हुआ है। और सदैव याद रखे इंसान जरूर शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता। भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खा

द स्लीपिंग ब्यूटी - ध्रुव गुप्त

द स्लीपिंग ब्यूटी ! आज गूगल पर सर्च के दौरान एक ऐसी तस्वीर मिली जिसे देखकर देर तक ठिठका रह गया। तस्वीर सोई हुई एक छोटी बच्ची की थी जिसकी मासूमियत और रहस्यमयता ने उसके बारे में कुछ ज्यादा जानने को विवश किया। खोजबीन करने पर जो कुछ पता चला वह दिल दहला देने वाला था। यह जीवंत तस्वीर वस्तुतः किसी सोती हुई बच्ची की नहीं, लगभग सौ साल पुरानी रोसलिया लबाडरे नाम की दो साल की बच्ची की एक लाश की है जिसे ममी बनाकर इटली के सिसली शहर के एक रहस्यमय अंडरग्राउंड कब्रिस्तान कापुचिन कटाकोम्बे में सुरक्षित रखा गया है। इस अनोखे अंडरग्राउंड कब्रिस्तान की विचित्रता यह है कि यहां लाशें दफनाई नहीं, ममी बनाकर दीवारों पर लटका दी जाती हैं। ऐसी आठ हजार से ज्यादा मम्मियां कब्रिस्तान में सुरक्षित हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार पहली ममी 1599 में पादरी ब्रदर सिल्वेस्ट्रो की बनाई गयी थी। 1880 में अधिकृत रूप से इस कब्रिस्तान को बंद कर दिया गया था, लेकिन विशेष परिस्थिति में 1920 में इस कब्रिस्तान में आखिरी ममी दो साल की रोसलिया की बनाई गयी। यह इस कब्रिस्तान में रखी गयी सबसे खूबसूरत ममी है क्योकि इस जीवंत ममी को देखक

मोदी जी के फिटनेस चैलेंज का सही अर्थ

प्रधानमंत्री मोदी जी की उम्र क्या है ? तकरीबन 68 वर्ष के है। व्यस्ततम व्यक्ति हैं अपने योगा का विडिओ डाले हैं किसलिए ? क्या इससे वोट मिलेगा ? या राहुल गांधी परास्त हो जायेंगे ? महागठबंधन टूट जाएगा ? 68 वर्ष का व्यक्ति हमें प्रेरित कर रहा है की आलस का त्याग करो। योग जिसकी खोज हमारे मनीषियों ने की थी ,आज उसके बारे में हमसे ज्यादा पश्चिमी देश जानते है। कितने लोग सूर्य नमस्कार को जानते है ? कितने लोग सूर्योदय से पूर्व उठ कर सूर्योदय के समय यह करते है ? धर्म और पूजा पाठ के नाम पर सिर्फ चौरंच रचने वाले ,ये भूल जाते है की सूर्य प्रत्यक्ष देव है। ऊर्जा के स्रोत है। उनके आने पर उन्हें नमस्कार करना चाहिए। यही धर्म का विधान है। बहुत से लोग ऐसा पूछते है की डाक्टर साहब रीढ़ की हड्डी में दर्द है , घुटने में दर्द है , फलाना ढिमका हो गया है। क्या परहेज और एक्सरसाइज करे ? अरे ये सब रोग तुम्हारे काहिलपन के कारण हुए है . एक मोहतरमा से मेरी बहस हुई थी  जब मैंने रह्युमेटोइड आर्थराइटिस पर पोस्ट किया था। मैंने लिखा था की सी रिएक्टिव प्रोटीन के कारण शरीर का अपना इम्म्यून सिस्टम खुद की सेल को नुक्

ब्राज़ील का अभिशाप - सुशोभित सिंह सक्तावत

ब्राज़ील का अभिशाप! _______________________________________________________ [ यह लेख पढ़ने के लिए आपका फ़ुटबॉल का दीवाना होना ज़रूरी नहीं है, लेकिन यह लेख पढ़ने के बाद आप फ़ुटबॉल के दीवाने ज़रूर बन जाएंगे! ] ये एक अभिशाप की कहानी है! ये "मराकानाज़ो" का अफ़साना है! ऐसा कम ही होता है कि कोई एक खेल मुक़ाबला किसी मुल्क़ के सामूहिक अवचेतन पर इस तरह से हावी हो जाए कि वह उसके राष्ट्रीय स्वरूप का पर्याय बन जाए। एक प्रेतबाधा की तरह जिससे पिंड छुड़ाना मुश्‍िकल साबित होने लगे! साहेबान, यह खेलों के इतिहास की सबसे बड़ी किंवदंती है। सबसे बड़ी गुत्थी भी कि आख़िर ऐसा कैसे हुआ। 1950 का फ़ुटबॉल विश्वकप फ़ाइनल। टीमें : ब्राज़ील और उरुग्वे। मैदान : रियो दी जैनेरियो का मराकाना स्टेड‍ियम। यह एक फ़ाइनल मैच कम और एक “करोनेशन” अध‍िक माना जा रहा था : व‍िश्व फ़ुटबॉल में ब्राज़ील की श्रेष्ठता का जयघोष। यहां तक कि यह तक भुला दिया गया था कि मैच खेला जाना अभी बाक़ी है, ब्राज़ी‍लियों ने पहले ही जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया। अख़बारों ने पहले ही ब्राज़ील को “विश्व चैंपियन” कहना शुरू कर दिया।

यह दुनिया फ़ुटबॉल⚽ की तरह गोल है - सुशोभित सिंह सक्तावत

[ तस्वीर : 1982 के विश्वकप में ब्राज़ील के ज़ीको और सोक्रेटीज़ : "द ग्रेटेस्ट टीम दैट नेवर वॉन अ वर्ल्डकप"] यह दुनिया फ़ुटबॉल⚽ की तरह गोल है! ________________________________________________________ 1950 का "माराकनाज़ो" मैंने अपनी आंखों के सामने घटित होते नहीं देखा था। बशर्ते 16 जुलाई 1950 के उस दिन मराकाना स्टेडियम में जो दो लाख लोग मौजूद थे, उनमें से किसी एक की आत्मा आज मेरी पसलियों के भीतर फ़ानूस की रौशनी की तरह क़ैद हो! 1970 में जब पेले की टीम ने विश्‍व कप जीता, और फ़ाइनल में किसी नक़्क़ाशी की तरह बुने गए "द ग्रेटेस्ट टीम गोल" की आख़िरी ठोकर कार्लोस एल्बेर्तो के पैरों के नीचे आकर खिल गई, तो वह भी कहां देखा? 1974 में जब नीदरलैंड्स ने "टोटल फ़ुटबॉल" खेला और दुनिया योहान क्रुएफ़ के पैरों के इर्द-गिर्द गेंद की तरह घूमने लगी, तब कौन जाने मैं किस दुनिया में, कौन-सा जीवन जी रहा था? फ़ाइनल में वेस्ट जर्मनी से हारकर योहान क्रुएफ़ विश्वकप कभी न जीत पाने वाले दुनिया के महानतम फ़ुटबॉलर बने, तब एक डी स्तेफ़ानो ही थे, जिन्हें क्रुएफ़ से रश्क़ ह

शक्ति सार्थ्य की कविताएँ

*** आदतन मैं गुस्सैल हूं किंतु प्रेम के लिए एक कोना भी सुरक्षित रखा है मैंने उस कोने तक पहुंचने से पहले ही आदतन गुस्सा मुझे शर्म की अनुभूति दे जाता है हां कोशिश में लगा हूं,,, कि... मेरा आदतन कभी सोता रह जाये और फिर मेरा कोना बाजी मार जाये.., *** 'रुको' जब पहली बार तुम्हारे मुखरबिन्दु से ये शब्द मेरे कानों में पड़े सच कहूं मैं सहम गया था उस वक्त हमारे जो हालात थे वो इन शब्दों को सहन करने में असमर्थ थे फिर न जाने क्यों मैं उस पल ठहर-सा गया तुम जो चाहती थी वही हुआ- मैं बस अवाक् था,, और वो तुम्हारे चेहरे की खिलखिलाहट अब भी ज़हन में उतर-उतर के अठखेलियां खेलती है, सच में हम उस वक्त खुशनसीब थे और वो वक्त भी कितना हसीन था ***  कोई तो होगा जिसने तुम्हें भड़काया होगा मेरे बारे में अभी तुम बस इतना सुनलो, कि उसे ढूंढ कर लाओ अभी इसी वक्त मैं जानना चाहूंगा कि आखिर उसकी भड़काहत में ऐसी क्या बात थी जो मेरी आंखों में भी नहीं थी क्या यार तुम भी ऐसे भड़कते रहोगे,, हम विश्वासी थे, पर क्या हुआ? मैंने थोड़ी देरी क्या लगा

अवसाद, ख़ुदकुशी कैसे रोकें - डॉ. अव्यक्त अग्रवाल

अवसाद, ख़ुदकुशी कैसे रोकें : हमारे देश वासियों में अवसाद ग्रस्त व्यक्ति के प्रति बहुत जजमेंटल होने की प्रवृत्ति, उस व्यक्ति की मौत के बाद तक नहीं खत्म होती। उसके अवसाद को न परिवारजन समझते हैं न ही बाहर के लोग।  मदद तो बहुत दूर की बात है। भैय्यू जी महाराज पर जैसी जैसी पोस्ट और अखबार में लेख आये उससे ये बात और बलवती होती है। कोई उन्हें कायर कह रहा है, कोई ड्रामेबाज़ थे, आध्यात्मिक गुरु काहे के थे (बनाया भी अनभिग्य भीड़ ने ही), कोई अखबार उनके बेड रूम में तो कोई उनके मोबाइल में झांकना चाह रहा है। ज़िया खान, आनंदी  के सुसाइड के बाद वो बदचलन थीं ये थीं वो थीं के लेख। अब समझिए सच: अवसाद एक रासायनिक बीमारी है मस्तिष्क की जो कि डेंगू, मलेरिया , टाइफाइड की ही तरह हममें से किसी को भी हो सकती है। अवसाद पर  ये लेख लिखने वाले मुझे भी। और ज़िया  को बदचलन थी, आनंदी नशेड़ी थी, भैय्यू जी  फ़र्ज़ी गुरु थे कहने वालों को भी। डोपामिन, सेरोटोनिन,एवं अन्य रसायनों की मात्रा में नानोग्राम परिवर्तन और  अनुपात में गड़बड़ी की वजह से ही हमारी क्षमता बाहरी तनावों से लड़ने की बेहद कम कर हमें अवसाद का श

दुनिया मे टोटल कितने पेड़ हैं? - विजय सिंह ठकुराय

दुनिया मे टोटल कितने पेड़ हैं? ●How Many Trees Are There?● . आज का सवाल यह है कि...पृथ्वी पर टोटल कितने पेड़ हैं? मुश्किल है? कुछ खास नही... . 2 सेप्टेंबर, 2015 को प्रतिष्ठित नेचर साइंस जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार... येल यूनिवर्सिटी के थॉमस क्रोथर और उनकी टीम ने कम से कम 4 फुट ऊंचे तथा 4 इंच से मोटे लकड़ी के तने वाली वनस्पति को आधिकारिक तौर पर "एक पेड़" मानकर इस सवाल का जवाब देने की कोशिश की है। थॉमस ने इसके लिए सैटेलाइट्स फोटोज का इस्तेमाल करते हुए....6 महाद्वीपों के 50 देशों में अलग-अलग की गई वनस्पति जनगणना के 421529 शोधों से प्राप्त फारेस्ट डेंसिटी के आधार पर.... सुपर कंप्यूटर से गणना करते हुए....दुनिया भर में पेड़ों की संख्या 3.04 ट्रिलियन निर्धारित की है। अर्थात.... 3040 अरब पेड़ !!! जो कि प्लस अथवा माइनस 5% की एरर से सही है। . थॉमस की स्टडी के दो स्याह पहलूँ भी हैं। पहला यह कि आज से 11 हजार साल पहले.. आधुनिक सभ्यता के उदयकाल में पृथ्वी पर मौजूद पेड़ों की संख्या लगभग 6 हजार अरब थी। यानी... आधुनिकता की दौड़ में हम सिर्फ 10 हजार सालों में पृथ्वी पर मौजूद