भारत मे किसानों की स्थिति किसान और परेशान अगर इन दोनों शब्दो पर ध्यान से गौर किया जाये तो ये, एक दूसरे के बेहद समीप और समकक्ष हैं ।अगर किसान शब्द के अंत के दो शब्द मतलब सान देखे तो खेती करना एक पेशा और शौक माना जाता था आजादी के पहले तक था ।आज तो यह केवल लाचारी मात्र का व्यवसाय बन के रह गया हैं ।यही कारण है कि एक पिता अपने पुत्र को डॉक्टर ,राजनेता,कारोबारी बनाना चाहता है मगर एक किसान अपने लड़के को कभी भी किसान नही बनाना चाहता है । देश की अर्थव्यवस्था से लेकर देश की राजनीति तक किसान अहम रोल अदा करता है ,यही कारण है कि पिछले कुछ समय से राजनैतिक पार्टी काँग्रेस भी किसान का नाम जोर-जोर से चिल्ला कर सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही हैं ,हालांकि इसमें ये सफल भी रही है ,कांग्रेस पार्टी ने अपने वचन पत्र में कहा - अगर हमारी सरकार बनती है तो हम दस दिन में किसानों का कर्जा माफ कर देंगे ,फिर क्या है किसानों ने इतना सुना कि तीन राज्यों की सियासत का तख्त पलट कर दिया । देश के प्रमुख कठिन कार्यो में से एक हैं, किसी योजना को किसानों तक ज्यो का त्यों पहुचाना । वैसे किसान कोई भी हो पिछले कुछ स
"एक प्रयास.., मुकम्मल प्रस्तुति का"