अखिलेश बाबू अपने घर पर लखनऊ में राहुल बाबा के साथ चुपचाप चाय पी रहे थे। माहौल शांत था। डिम्पल भौजी भी वहीं पास बैठी थीं। अखिलेश बाबू ने राहुल बाबा से बोला- "राहुल बाबा, बहुत बेचैनी-सी हो रही है, पता नहीं कल क्या होगा..??" "अरे इसमें डरना क्या है टीपू बाबू, मेरे साथ तो न जाने कितनी बार ऐसा हुआ है चुनाव के वक़्त कि सोचा कुछ, और हो गया कुछ..हेहेहे..!!" - राहुल बाबा हँसते हुए बोले। "राहुल बाबा, आपको तो आदत हो गयी है, पर मेरा तो यह समझिये पहला ही युद्ध है..वह भी बिना घर के बुजुर्गों के, सो दिल धक-धक कर रहा है..!!"- अखिलेश बाबू बोले.. राहुल बाबा कॉन्फिडेंस से बोले -"अरे बोल्ड बनिए टीपू बाबू..बोल्ड..!!" अब अखिलेश जी बोले- "राहुल बाबा, बोल्ड बनने के चक्कर में कहीं क्लीन बोल्ड मत हो जाए हम लोग..!!" "डिंपल, जरा मेरा मोबाइल पकड़ाना.. बुआ को फ़ोन लगाता हूँ..!!" डिंपल भौजी ने राहुल बाबा की ओर बुरा-सा मुंह बनाते हुए अखिलेश भैया को फ़ोन थमा दिया। "हेल्लो, बुआ..प्रणाम..दिस इज़ योर भतीजा अखिलेश..!!" "खुश रहो, आबाद रहो..क्या ब