आज २३ जनवरी, हमारे देश के निडर एवं प्रभावशाली नेता सुभाष चन्द्र बोस जी की जयंती है।
इस जयंती के मौके पर हम नेताजी को उनके द्वारा दिये गये उनके प्रसिद्ध भाषण एवं उनके जीवनकाल में उनके मुखरबिंदु से अवतरित कुछ अनमोल वचनों को याद करते हुए उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित करते हैं !
रंगून के 'जुबली हॉल' में सुभाष चंद्र बोस द्वारा दिया गया भाषण सदैव के लिए इतिहास के पन्नो में अंकित हो गया जिसमें उन्होंने कहा था -
"स्वतंत्रता संग्राम के मेरे साथियों! स्वतंत्रता बलिदान चाहती है। आपने आज़ादी के लिए बहुत त्याग किया है, किन्तु अभी प्राणों की आहुति देना शेष है। आज़ादी को आज अपने शीश फूल की तरह चढ़ा देने वाले पुजारियों की आवश्यकता है। ऐसे नौजवानों की आवश्यकता है, जो अपना सिर काट कर स्वाधीनता की देवी को भेंट चढ़ा सकें। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा। खून भी एक दो बूँद नहीं इतना कि खून का एक महासागर तैयार हो जाये और उसमें मैं ब्रिटिश साम्राज्य को डूबो दूँ ।"
नेताजी के जीवनकाल में उनके मुखरबिंदु से अवतरित कुछ अनमोल वचन-
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राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्शों सत्यम् , शिवम्, सुन्दरम् से प्रेरित है।
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याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है
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इतिहास में कभी भी विचार-विमर्श से कोई वास्तविक परिवर्तन हासिल नहीं हुआ है।
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एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा - सच्चाई, कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है। अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर लो।
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एक सच्चे सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक दोनों ही प्रशिक्षण की ज़रुरत होती है।
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प्रांतीय ईर्ष्या-द्वेष दूर करने में जितनी सहायता हिन्दी प्रचार से मिलेगी, दूसरी किसी चीज से नहीं।
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आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशस्त हो सके।
इस जयंती के मौके पर हम नेताजी को उनके द्वारा दिये गये उनके प्रसिद्ध भाषण एवं उनके जीवनकाल में उनके मुखरबिंदु से अवतरित कुछ अनमोल वचनों को याद करते हुए उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित करते हैं !
रंगून के 'जुबली हॉल' में सुभाष चंद्र बोस द्वारा दिया गया भाषण सदैव के लिए इतिहास के पन्नो में अंकित हो गया जिसमें उन्होंने कहा था -
"स्वतंत्रता संग्राम के मेरे साथियों! स्वतंत्रता बलिदान चाहती है। आपने आज़ादी के लिए बहुत त्याग किया है, किन्तु अभी प्राणों की आहुति देना शेष है। आज़ादी को आज अपने शीश फूल की तरह चढ़ा देने वाले पुजारियों की आवश्यकता है। ऐसे नौजवानों की आवश्यकता है, जो अपना सिर काट कर स्वाधीनता की देवी को भेंट चढ़ा सकें। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा। खून भी एक दो बूँद नहीं इतना कि खून का एक महासागर तैयार हो जाये और उसमें मैं ब्रिटिश साम्राज्य को डूबो दूँ ।"
नेताजी के जीवनकाल में उनके मुखरबिंदु से अवतरित कुछ अनमोल वचन-
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राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्शों सत्यम् , शिवम्, सुन्दरम् से प्रेरित है।
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याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है
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इतिहास में कभी भी विचार-विमर्श से कोई वास्तविक परिवर्तन हासिल नहीं हुआ है।
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एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा - सच्चाई, कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है। अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर लो।
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एक सच्चे सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक दोनों ही प्रशिक्षण की ज़रुरत होती है।
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प्रांतीय ईर्ष्या-द्वेष दूर करने में जितनी सहायता हिन्दी प्रचार से मिलेगी, दूसरी किसी चीज से नहीं।
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आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशस्त हो सके।
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