-तुम्हारी तरह -
मुझे एक स्थिर-बिंदु की तरह लो
मैं मान लूंगा, यहाँ से आगे जाया जा सकता है
मुझे लो अंधकार की तरह
मैं खुद को आकाशगंगा के सभी छोरो तक बिखरा मान लूंगा
या फिर प्रकाश की तरह लो
शायद मैं तुम्हारी आँखों में आ कर बैठ जाऊं
तुम मुझे झरना भी मान लेना पर ध्यान रखना
मेरे गुप्त-स्रोत में ही मेरा सौंदर्य है
एक विचार मानना, जो तुम्हारे पक्ष में आ जाने की हद तक मुलायम है
एक विद्रोह की तरह भी, जो सबसे सहमत होने की प्रत्याशा में खुद से किया गया था
एक देश ही मान लेना तुम, जो गांवों में बसता था
जिसके तमाम नागरिक शहरों में लापता थे
एक बीता हुआ बरस समझना,
जो बीतने के बाद भी सदी के चेहरे पर ठहरा है
जो तुम्हारे इस बरस तक भी बार-बार आ धमकता है
नारे की तरह भी ले सकते हो मुझे तुम,
सावधानी इस बात में है कि मैं तुम्हारे मुँह से न निकल आऊँ
यूं ही किसी बातचीत में, मुझे तुम आयी-गयी बात सा भी ले सकते हो
बहुत संभव है मैं किसी गंभीर मुद्दे सा वहीं ठहर जाऊं
कविता में चला आया, मेरा आत्मसाक्षात्कार हो सकता है
तुम्हारे ही चिंतन का प्रतिरूप हो
अगर लेना बहुत अनिवार्य हो मुझे, तो लेना मुझे
कविता में घट गए उस जादू की तरह
मुझे एक स्थिर-बिंदु की तरह लो
मैं मान लूंगा, यहाँ से आगे जाया जा सकता है
मुझे लो अंधकार की तरह
मैं खुद को आकाशगंगा के सभी छोरो तक बिखरा मान लूंगा
या फिर प्रकाश की तरह लो
शायद मैं तुम्हारी आँखों में आ कर बैठ जाऊं
तुम मुझे झरना भी मान लेना पर ध्यान रखना
मेरे गुप्त-स्रोत में ही मेरा सौंदर्य है
एक विचार मानना, जो तुम्हारे पक्ष में आ जाने की हद तक मुलायम है
एक विद्रोह की तरह भी, जो सबसे सहमत होने की प्रत्याशा में खुद से किया गया था
एक देश ही मान लेना तुम, जो गांवों में बसता था
जिसके तमाम नागरिक शहरों में लापता थे
एक बीता हुआ बरस समझना,
जो बीतने के बाद भी सदी के चेहरे पर ठहरा है
जो तुम्हारे इस बरस तक भी बार-बार आ धमकता है
नारे की तरह भी ले सकते हो मुझे तुम,
सावधानी इस बात में है कि मैं तुम्हारे मुँह से न निकल आऊँ
यूं ही किसी बातचीत में, मुझे तुम आयी-गयी बात सा भी ले सकते हो
बहुत संभव है मैं किसी गंभीर मुद्दे सा वहीं ठहर जाऊं
कविता में चला आया, मेरा आत्मसाक्षात्कार हो सकता है
तुम्हारे ही चिंतन का प्रतिरूप हो
अगर लेना बहुत अनिवार्य हो मुझे, तो लेना मुझे
कविता में घट गए उस जादू की तरह
[फेसबुक से साभार]
©वीरु सोनकर
veeru_sonker@yahoo.com
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About Veeru-
[निष्पक्ष, जिद्दी, घातक और आत्मसाक्षात्कार की धुन में दुनिया की भीड़ में खोया एक अथक यात्री]
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