(चित्र साभार : गूगल)
परछाई और अंधेरे से जुड़ा एक अद्भुत रहस्य
●Is A Shadow Completely Dark?●
.
अगर मैं आपसे कहूँ कि गोल वस्तु की परछाई के केंद्र का हिस्सा काला नही बल्कि चमकदार होता है तो आप विश्वास करेंगे?
आज से 200 साल पहले, ये वो वक़्त था जब वैज्ञानिक जगत में प्रकाश के वेव अथवा पदार्थ होने की बहस छिड़ी हुई थी। ज्यादातर वैज्ञानिकों का न्यूटन की तर्ज पर मानना था कि प्रकाश छोटे-छोटे कणों "फोटॉन्स" से मिलकर बना हुआ है। तभी 1818 में फ्रेंच विज्ञान अकादमी ने प्रकाश से जुड़ी गुत्थी सुलझाने के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें फ्रेंच वैज्ञानिक "ऑगस्टीन फ्रनाल" ने प्रकाश के वेव होने को लेकर एक व्याख्यान प्रस्तुत किया।
निर्णायकों के पैनल में मौजूद एक जज 'सिमीयन पौसान" को यह वेव नेचर ऑफ लाइट की थ्योरी बेहद नागवार गुजरी और उन्होने कैलकुलेशन के सहारे यह प्रस्तुत किया कि अगर... अगर प्रकाश एक वेव है और चूंकि एक वेव सामने किसी अवरोध के आने पर उसके किनारों पर से मुड़ती है (This is called diffraction)
तो... तकनीकी तौर पर यह प्रक्रिया किसी गोल वस्तु की ऐसी छाया उत्पन्न करेगी...
जिस छाया के ठीक बीचोबीच...प्रकाश का एक बिंदु उत्पन्नं होगा।
अर्थात... गोल वस्तु की छाया के केंद्र में एक प्रकाश पुंज उपस्थित होना चाहिए .. जो कि पौसान के मुताबिक वाहियात था।
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Well... आज दो सौ साल के बाद हम भली-भांति जानते हैं कि प्रकाश एक वेव और पार्टिकल दोनों है। तो इस थ्योरी का भविष्य क्या रहा? क्या वाकई में गोल वस्तुओं की छाया के केंद्र का हिस्सा प्रकाशवान रहता है?
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जी हाँ... ऐसा होता है !!!
इस प्रयोग का एक वीडियो निम्न लिंक पर जाकर आप स्वयं इस घटना का साक्षात्कार कर सकते हैं। [वीडियो लिंक]
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तो हमारे दैनिक जीवन में हम गोल चीजों की परछाई की केंद्र में प्रकाश क्यों नही देखते?
देखा जाए तो इसके कई कारण है। सबसे पहला तो यह कि हमारे आसपास मौजूद चीजें पूरी तरह गोल नही होती और खुरदुरी सतह उनकी परछाई के केन्द्र में प्रकाश बिंदु उपस्थित करने हेतु आवश्यक डिफरेक्शन में बाधा उत्पन्न करती हैं।
इसके अलावा इस प्रयोग के लिए प्रकाश की केंद्रित और समानांतर तरंगे चाहिये जो कि लेजर स्ट्रीम से ही संभव है।
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अगर आपको इस घटना का साक्षात्कार करना है तो दूर जाने की जरूरत नही... इस प्रयोग को करने लायक जरूरी मटेरियल आपकी अपनी आंख में मौजूद है।
जी हाँ... किसी कंप्यूटर स्क्रीन को देखते वक़्त अथवा आसमान को निहारते वक़्त आपने देखा होगा कि आपको दिख रहे दृश्य में कुछ तंतुनुमा जीव तैरते रहते हैं।
फ्लोटर्स (Floaters) नामक ये संरचनाएं आपकी आंख में मौजूद द्रव के रेशों की परछाई हैं जो रेशे टूटकर आपकी आंख में तैरते रहते हैं। ये रेशे या तो तंतुनुमा होते हैं अथवा गोल..
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तो नीले आसमान को देखते हुए अपनी आंख में मौजूद फ्लोटर्स को ध्यान से देखिए। अगर कोई गोल आकार का फ्लोटर आपकी आंख में है तो उसकी परछाई के केंद्र में प्रकाश की उपस्थिति का दीदार आप प्रत्यक्ष कर सकते हैं।
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दीपोत्सव पर इस पोस्ट को करने का अभिप्राय आपको यह समझाना है कि... जीवन में अंधकार कितना भी हो। साइंटिफ़िकली हर अंधकार में रोशनी की किरणें छुपी हुई हैं। जरूरत उस अंधकार से भागने की नही बल्कि कमर कसकर अंधकार में गहरे तक उतर कर ही प्रकाश का साक्षात्कार किया जा सकता है।
When Darkness Sarrounds You, Just Peer Deep....
You Will Eventually Find Some "Light" There..!!!
******************************************
[फेसबुक पोस्ट से साभार]
© विजय सिंह ठकुराय 'झकझकिया'
(वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित बहुचर्चित पुस्तक 'बेचैन बंदर' के लेखक)
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परछाई और अंधेरे से जुड़ा एक अद्भुत रहस्य
●Is A Shadow Completely Dark?●
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अगर मैं आपसे कहूँ कि गोल वस्तु की परछाई के केंद्र का हिस्सा काला नही बल्कि चमकदार होता है तो आप विश्वास करेंगे?
आज से 200 साल पहले, ये वो वक़्त था जब वैज्ञानिक जगत में प्रकाश के वेव अथवा पदार्थ होने की बहस छिड़ी हुई थी। ज्यादातर वैज्ञानिकों का न्यूटन की तर्ज पर मानना था कि प्रकाश छोटे-छोटे कणों "फोटॉन्स" से मिलकर बना हुआ है। तभी 1818 में फ्रेंच विज्ञान अकादमी ने प्रकाश से जुड़ी गुत्थी सुलझाने के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें फ्रेंच वैज्ञानिक "ऑगस्टीन फ्रनाल" ने प्रकाश के वेव होने को लेकर एक व्याख्यान प्रस्तुत किया।
निर्णायकों के पैनल में मौजूद एक जज 'सिमीयन पौसान" को यह वेव नेचर ऑफ लाइट की थ्योरी बेहद नागवार गुजरी और उन्होने कैलकुलेशन के सहारे यह प्रस्तुत किया कि अगर... अगर प्रकाश एक वेव है और चूंकि एक वेव सामने किसी अवरोध के आने पर उसके किनारों पर से मुड़ती है (This is called diffraction)
तो... तकनीकी तौर पर यह प्रक्रिया किसी गोल वस्तु की ऐसी छाया उत्पन्न करेगी...
जिस छाया के ठीक बीचोबीच...प्रकाश का एक बिंदु उत्पन्नं होगा।
अर्थात... गोल वस्तु की छाया के केंद्र में एक प्रकाश पुंज उपस्थित होना चाहिए .. जो कि पौसान के मुताबिक वाहियात था।
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Well... आज दो सौ साल के बाद हम भली-भांति जानते हैं कि प्रकाश एक वेव और पार्टिकल दोनों है। तो इस थ्योरी का भविष्य क्या रहा? क्या वाकई में गोल वस्तुओं की छाया के केंद्र का हिस्सा प्रकाशवान रहता है?
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जी हाँ... ऐसा होता है !!!
इस प्रयोग का एक वीडियो निम्न लिंक पर जाकर आप स्वयं इस घटना का साक्षात्कार कर सकते हैं। [वीडियो लिंक]
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तो हमारे दैनिक जीवन में हम गोल चीजों की परछाई की केंद्र में प्रकाश क्यों नही देखते?
देखा जाए तो इसके कई कारण है। सबसे पहला तो यह कि हमारे आसपास मौजूद चीजें पूरी तरह गोल नही होती और खुरदुरी सतह उनकी परछाई के केन्द्र में प्रकाश बिंदु उपस्थित करने हेतु आवश्यक डिफरेक्शन में बाधा उत्पन्न करती हैं।
इसके अलावा इस प्रयोग के लिए प्रकाश की केंद्रित और समानांतर तरंगे चाहिये जो कि लेजर स्ट्रीम से ही संभव है।
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अगर आपको इस घटना का साक्षात्कार करना है तो दूर जाने की जरूरत नही... इस प्रयोग को करने लायक जरूरी मटेरियल आपकी अपनी आंख में मौजूद है।
जी हाँ... किसी कंप्यूटर स्क्रीन को देखते वक़्त अथवा आसमान को निहारते वक़्त आपने देखा होगा कि आपको दिख रहे दृश्य में कुछ तंतुनुमा जीव तैरते रहते हैं।
फ्लोटर्स (Floaters) नामक ये संरचनाएं आपकी आंख में मौजूद द्रव के रेशों की परछाई हैं जो रेशे टूटकर आपकी आंख में तैरते रहते हैं। ये रेशे या तो तंतुनुमा होते हैं अथवा गोल..
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तो नीले आसमान को देखते हुए अपनी आंख में मौजूद फ्लोटर्स को ध्यान से देखिए। अगर कोई गोल आकार का फ्लोटर आपकी आंख में है तो उसकी परछाई के केंद्र में प्रकाश की उपस्थिति का दीदार आप प्रत्यक्ष कर सकते हैं।
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दीपोत्सव पर इस पोस्ट को करने का अभिप्राय आपको यह समझाना है कि... जीवन में अंधकार कितना भी हो। साइंटिफ़िकली हर अंधकार में रोशनी की किरणें छुपी हुई हैं। जरूरत उस अंधकार से भागने की नही बल्कि कमर कसकर अंधकार में गहरे तक उतर कर ही प्रकाश का साक्षात्कार किया जा सकता है।
When Darkness Sarrounds You, Just Peer Deep....
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