आज के दौर में डायबिटीज होना आम बात है। सिर्फ अधिक उम्र के लोग ही नहीं अपितु आज के समय में इस रोग की चपेट में बच्चे भी आ रहे है। एक समय हुआ करता था कि ये रोग चालीस-पचास के उम्र के लोगों को हुआ करता था। लेकिन बदलते जमाने और लाईफस्टाइल ने इस रोग को आम और अधिक फैलने में मदद प्रदान किया है। जिसके चलते अब इस रोग की उम्र सीमा समाप्त हो चुकी है, जो अब किसी भी उम्र में आपके शरीर में प्रवेश कर सकता है।
डायबिटीज के कारण:-
डायबिटीज मुख्यतः हमारे शरीर में पेंक्रियाज ग्रंथि के ठीक से काम न करने या फिर खराब हो जाने से हमारे शरीर में उत्पन्न हो जाती है।
दरअसल पेंक्रियाज ग्रंथि से तरह तरह के हार्मोन्स निकलते है, इन्हीं में से है इन्सुलिन और ग्लूकान। जहां इन्सुलिन का काम होता है हमारे शरीर में उत्पन्न हुए शुगर को पचाना। जिसके चलते शुगर का हमारे शरीर में बैलेंस बना रहता है। यदि हमारे शरीर में इन्सुलिन बनना बंद हो जाता है, तब हमारे शरीर में उत्पन्न हुई शुगर पच नहीं पाती है और जो हमारे खून और पेशाब में जाकर घुलना शुरू हो जाती है। जिसके कारण हमें डायबिटीज की शिकायत होनी लगती है।
डायबिटीज आपको अनुवांशिक कारणो से भी हो सकती है, जो आपके पूर्वजों यानि माता-पिता आदि के माध्यम से आपके शरीर में प्रवेश कर सकती है।
डायबिटीज के लिए आपके शरीर का मोटापा होना भी एक जिम्मेदार कारण हो सकता है। आपके समय पर ना खाना खाने, बहुत अधिक जंकफूड खाना आदि आपके मोटापे के लिए जिम्मेदार हो सकते है। जिस कारण भी आपको डायबिटीज हो सकता है।
डायबिटीज के लक्षण:-
पॉलीयूरिया (बार-बार पेशाब लगना), पॉलीडिप्सिया (बढ़ी हुयी प्यास),पॉलीफैगिया (बढ़ी हूयी भूख) और वजन कम होनामधुमेह के चितपरिचित लक्षण हैं। अन्य लक्षण जो निदान के समय शामिल हैं उनमें धुंधला दिखना, खुजली, परिधीय न्यूरोपैथी, बार-बार होने वालीयोनि के संक्रमण और थकानशामिल हैं बहुत सारे लोगों में पहले कुछ वर्षों में कोई लक्षण नहीं होते हैं और उनका निदान नियमित परीक्षण के दौरान होता है। टाइप 2 मधुमेह मेलिटस से पीड़ित लोगों कभी-कभार नॉनएकेटोटिक हाइप्रोस्मोलर कोमा (एक अवस्था जिसमें चेतना के घटे हुये स्तर और निम्न रक्तचाप के साथ बहुत उच्च रक्त शर्करा होती है) हो सकता है।
डायबिटीज की रोकथाम:-
टाइप 2 मधुमेह की शुरुआत को उपयुक्त पोषकता और नियमित व्यायाम के माध्यम से विलंबित किया या रोका जा सकता है।जीवन-शैली संबंधी गंभीर उपाय इसके जोखिम को आधा कर सकते हैं। व्यायाम का लाभ व्यक्ति के आरंभिक वजन और व्यायाम के कारण घटे वजन से अप्रभावित रहता है। मात्र आहार संबंधी बदलावों से लाभ के साक्ष्य हलांकि सीमित हैं, हरी पत्तेदार सब्ज़ियों की आहार में अधिकता के कुछ साक्ष्य अवश्य हैं और शर्करा वाले पेयों को पीना सीमित करने के लाभ के भी कुछ साक्ष्य हैं। वे जिनको दुर्बल ग्लूकोस सहनशीलताहै, अकेले आहार तथा व्यायाम या मेटफॉर्मिन या अकार्बोस के साथ संयोजन, मधुमेह विकास के जोखिम को कम कर सकता है। जीवनशैली हस्तक्षेप, मेटाफॉर्मिन से अधिक प्रभावी हैं।
28नबंवर2018 को इंडिया टूडे पत्रिका ने डायबिटीज पर अपनी एक रिपोर्ट पेश की थी उसी रिपोर्ट में डायबिटीज के संबंध में दो डॉक्टरों ने इस पर अपनी चिंता जाहिर की थी जो निम्न है-
"असमय मौतों की वजह में डायबिटीज का 13वां स्थान है। वह लोगों से जीवन वर्ष छीन रहा है।"
- डॉक्टर निखिल टंडन, वरिष्ठ सर्जन, एम्स
"डायबिटीज विभिन्न लक्षणों वाली कई बीमारियों का समूह हो सकता है।"
- डॉक्टर शशांक जोशी, मधुमेह विभाग, लीलावती अस्पताल
[संदर्भ :- डायबिटीज के लक्षण एंव रोकथाम : विकीपीडिया]
प्रस्तुति एंव संकलन
शक्ति सार्थ्य
shaktisarthya@gmail.com
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