(चित्र साभार:- नरेश गुर्जर जी की फेसबुक वॉल से)
"सुनो.... कभी मिलोगी मुझसे!?
"ना....कभी नहीं!
उसने दो टूक शब्दों में मना कर दिया!
उसे एकबारगी तो विश्वास नहीं हुआ कि क्या यह वही है जो अभी प्रेम की बरसात कर रही थी! उसकी आंखें भर आई!
"हैलो... क्या हुआ, आप सुन रहे हैं!?
उसने अपने आप को संयत करते हुए मोबाइल कान से लगाया और कहा!
"हैलो, हां मैं सुन रहा हूँ!
"देखिए, आप ऐसा वैसा कुछ मत सोचिए!
"नहीं, तुम चिंता ना करो,मैं ऐसा कुछ नहीं चाहता हूँ.. यह तो बस यूं ही निकल गया मुंह से!
"हूं...ठीक है, फिर भी मैं चाहूंगी कि आप ऐसा कुछ न सोचे!
"जी,कवि और प्रेमी कभी सोचते नहीं है, क्योंकि सोच कर ना तो प्रेम किया जाता है और ना ही कविताएं लिखी जाती है इसलिए सोचना छोड़ दिया है!
"समझदार हैं आप!
"हूं...कह सकते हैं!
"ठीक है, अब फोन रखिए.. समय मिला तो फिर बात होगी!
कहते हुए उसने उसकी हां ना सुने बगैर ही फोन काट दिया! उसने सर उठा कर चांद की तरफ देखा जो आज उसे अधिक ही उदास लग रहा था!
दूर किसी ट्यूबवेल से गाने की आवाज आ रही थी!
"एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोग"
वो आज रोना चाहता था, जी भर कर रोना..लेकिन जैसे तैसे खुद को रोक लिया उसने, क्योंकि वो जानता था कि सिसक सिसक रोना कितनी तकलीफ देता है। और बच्चा अब वो रहा नहीं जो दहाड़े मार कर रो लेता!
गाना अब चेंज हो चुका था!
"इस भरी दुनिया में कोई हमारा न हुआ!"
© नरेश गुर्जर
पता-
ग्राम व पोस्ट- दुजार
तहसील- लाडनूं
जिला- नागौर(राजस्थान)
पिनकोड -341306
ईमेल-
Nareshgurjar5445@gmail.com
(चित्र साभार:- नरेश गुर्जर जी की फेसबुक वॉल से)
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