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बिहार बनाम शिक्षा : कुमार प्रियांक

दिल्ली यूनिवर्सिटी में अच्छी-खासी संख्या बिहार से, पंजाब-महाराष्ट्र-कर्नाटक-तमिलनाडु इत्यादि के विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेज में डोनेशन से पढ़ने वाले अधिसंख्य बच्चे बिहार से, यहाँ तक कि देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेज में भी डोनेशन से अच्छी संख्या में बच्चे बिहार से..
कम्पटीशन द्वारा भी डॉक्टर्स-इंजीनियर्स की अच्छी संख्या बिहार से..
राजस्थान के कोटा जैसे इंजीनियरिंग-मेडिकल की कोचिंग के लिए प्रसिद्ध हो चुकी जगह में सबसे ज्यादा छात्र बिहार से..!!
दिल्ली के मुख़र्जीनगर/राजेंद्रनगर जैसे सिविल सेवा की कोचिंग के लिए प्रसिद्ध जगहों पर भारी संख्या में अभ्यर्थी बिहार से..
बैंकिंग-रेलवे में देश भर में बहुतेरे लोग बिहार से..
यहाँ तक कि आज भी जब हिंदी माध्यम की स्थिति यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में पतली हो चुकी है, फिर भी इस हिंदी-भाषी राज्य से अब भी अच्छी संख्या में चयन..!!
अब इन तमाम उपरोक्त कोचिंग संस्थानों में देखेंगे तो पाएंगे कि यहाँ पढ़ने वाले तो पढ़ने वाले, यहाँ तक कि पढ़ाने वाले भी ज्यादातर बिहार से ही हैं..!!
हाँ, एकमात्र राज्य जो बिहार को सरगर्मी से टक्कर देता है, वह यूपी है..पर सनद रहे कि यूपी की आबादी बिहार से सीधे दुगने है..!!
और हाँ, यूपी में अलीगढ़ से लेकर इलाहाबाद होते हुए वाराणसी तक की जो भी विश्वविद्यालयी शिक्षण सुविधा है, वह बिहार को तो कतई नसीब नहीं..यहाँ तक कि इन यूपी वाले वर्णित जगहों पर भी बिहारियों की अच्छी-खासी संख्या है..!!
अब सबसे बड़ी समस्या जो है, वह यह कि बिहार देश का सबसे पिछड़ा राज्य है..यहाँ साक्षरता सबसे कम है..यहाँ गंगा घाटी में चावल प्रदेश होने और उपोष्णकटिबंधीय मॉनसूनी क्षेत्र होने से जनसंख्या घनत्व देश भर में सर्वाधिक है..!!
पूरा देश जातिगत आधार पर बंटा हुआ है, सो यह राज्य भी कोई अपवाद नहीं..चुनावों के दौरान तो बुरी स्थिति हो जाती है..!! गाँवों में पंचायती राज चुनावों ने और भी विभेद कर दिया है, पहले वाली समरसता नहीं रही अब..
मेरे राज्य के श्रमिक भाई पूरे देश में बिखरे पड़े हैं..कोई रिक्शा खींच रहा, कोई जमीन खोद रहा, कोई कुछ कर रहा है..कोई कलम चला रहा है..!!
बिहार के साथ जो सर्वाधिक दुःखद स्थिति है..वह है आज़ादी से लेकर आज तक यहाँ ढँग के उच्च स्तरीय शिक्षण संस्थानों का न होना..
साथ ही ऐसी कोई ढँग की अधोसंरचना विकसित नहीं की गयी कि श्रमिकों का और पढ़े-लिखे बेरोजगारों का पलायन रुकता..!!
ऊपर से राजनीतिज्ञ तो ऐसे कि क्या कहने..!!
फिर हम बिहारियों की मानसिकता भी कम दोषी नहीं..अब लाख काबिलाठ बन कर इस बात के लिए आप मुझे कोसिये..पर यह सच है..!!
देश भर की ट्रेनों में मैंने सफर किया है..इसलिए मुझे मानसिकता मत समझाने लगियेगा..समझ तो गए ही होंगे..यूपी वाले भी ज्यादा खुश मत होइएगा..!!
चलिए माना कि बिहार में बहुत बड़े गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी से लेकर राजेन्द्र बाबू तक पैदा हुए..बहुत बड़ा ऐतिहासिक गौरव है..मगध-मौर्य-गुप्त-शेरशाह-ये-वो इत्यादि-इत्यादि..पर हम कब तक अतीत का ढोल पीटेंगे..??
कुछ तो कारण रहा होगा कि जो एक बार अब यहाँ से निकल जाता है, अधिकाँश वापस आना ही नहीं चाहते..!!
कुछ तो कारण है कि हम देश में सबसे पिछड़े हैं..आखिर क्यों नहीं हम बीमारू तमगे से बाहर निकल पा रहे..??
इन सब उपरोक्त सवालों का जवाब हमें एक-दूसरे पर दोषारोपण और गाल बजाने से ज्यादा अब गंभीरता से सोचना होगा..
शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ पूरे प्रदेश में अधोसंरचना विकसित करनी ही होगी..टापू टाइप का विकास नहीं, वरन सम्पूर्ण बिहार में विकास..मुख्यतः उत्तरी बिहार को बाढ़ से छुटकारा..
साथ ही ज्यादा संख्या में उच्च कोटि के विश्वविद्यालयी शिक्षण संस्थान खोले जाने चाहिए..साथ ही कौशल विकास करने वाले संस्थान भी..
सबसे महत्वपूर्ण जनसंख्या कम रखिये, वरना सब विकास धरा का धरा रह जायेगा, इस मानसिकता से निकलिए कि धड़ाधड़ बच्चे पैदा करना ऊपरवाले की देन है, तो ऊपरवाला ही व्यवस्था करेगा..!!
सब ऊपरवाला ही करता होता ना, तो न तो यहाँ कोई भूख से मरता, न किसी के साथ बलात्कार होता, न कोई नैन्सी यहाँ मार दी जाती..समझ गए न..??
अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाइए..जातिगत व निज स्वार्थ से आगे आकर सार्वजनिक रूप से जागरूक बनिए..
वास्तविक शिक्षा का महत्व समझिए..वरना जातिगत भेदभाव बनाकर 'होशियार-अनपढ़' हम सब 'पढ़े-लिखे बेवकूफ़ों' पर राज करते रहेंगे..!!

[फेसबुक से साभार]

©कुमार प्रियांक

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